व्यक्तिगत प्रार्थना

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व्यक्तिगत प्रार्थना
  • बाल विकास गुरू, बच्चों को पूर्ण अर्थ सहित श्लोक समझाएँ।
  • गुरू (गण) श्लोक मुख्य शब्दार्थ ब्लैकबोर्ड पर लिखें। उदाहरण: मंगल, सारा धन, शिवजी की पत्नी विष्णुजी की बहन, विजय देनेवाली, इत्यादि।
  • फिर एक छात्रा को बुलाकर पार्वती जैसे शब्दों का अभिनय अथवा मुद्रा बनाने को कहें। उस छात्रा को पार्वती जी जैसे सजाएँ या पार्वतीजी की तस्वीर दिखाएँ।
  • अन्य बच्चों को अलग -अलग या दो या तीन दलों में बांटकर उन्हें श्लोक में से दिए गए मुख्य शब्दों/वाक्यों का प्रयोग कर स्वरचित प्रार्थना /गीत/ श्लोक का सृजन करने को कहें| उदाहरण: “देवी माँ, आप जो शिवजी की पत्नी हैं विष्णुजी की बहन हैं| मुझे सफलता (विजय) प्राप्तः करने का आशीर्वाद प्रदान करें |” एक और उदहारण : “शुभमयी, मैं तुम्हारे शरण में हूँ | मुझे नानाविध के ऐश्वर्य देने की कृपा कीजिये |”
  • फिर सभी बच्चों को अकेले या अलग-अलग या दल बनाकर उनको अपने-अपने प्रार्थना शब्द को भक्ति भाव से पढ़कर पार्वती जी को पुष्पाञ्जलि करने को कहें।
संक्षेप में

यह गतिविधि श्लोक के अर्थ को समझकर, याद करने की अद्भुत विधि है। खेल-खेल में बच्चे खुशी-खुशी श्लोक एवं उसका अर्थ समझेंगे और माँ भगवती पर उनका भक्ति भाव बढ़ेगा। इसके आलावा बच्चों के मन में अच्छे गुणों,भावों का विकास होगा। हमें कठिन शब्दों का बोझ देकर उन्हें कष्ट नहीं देना चाहिए। यह गतिविधि पूरा करने के बाद हम सभी बच्चों को मिलजुलकर इस श्लोक को अर्थ सहित बताने को कह सकते हैं।

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