मोर
मोर
प्यारे बच्चों। ऊपर कूदो और घूमो। हाथ ऊपर। हाथ नीचे।
देखिए इस खूबसूरत पक्षी मोर को। यह हमारा राष्ट्रीय पक्षी है। अब बैठ जाएंँ, पीठ सीधी, हाथ ज्ञान-मुद्रा में और आंँखें बंद कर लें। अब यह आवाज सुनो।
हम एक ऐसे बगीचे में जा रहे हैं जिसमें बहुत से मोर रहते हैं। मोर अनाज चुग रहे हैं। आसमान की ओर देखो। बादल छाए हुए हैं। प्रत्येक मोर अपने पंख खोलकर खुशी से नाच रहा है। बहुत खूब। रंगों का कितना जीवंत फैलाव। नीला। इंडिगो। सुंदर, अति सुंदर। इनका सिर हिलाकर झूमना और नाचना कितना सुंदर लगता है। कितना प्यारा दृश्य है।
मोर अपने पंखों के माध्यम से अपनी सुंदरता बिखेरता है। हम सुंदरता कैसे फैलाते हैं? हम में से प्रत्येक, सुंदर मोर की तरह है। ‘दया’, ‘ईमानदारी’, ‘स्वच्छता’, ‘अनुशासन’ और ‘अच्छे आचरण’ के गुण हमारे पंख हैं, जिनसे हम अपने जीवन की सुंदरता को बिखेर सकते हैं। हम प्रकृति से बहुत कुछ सीखते हैं । आइए प्रकृति की देखभाल करें।
यह कहो और धीरे से अपनी आँखें खोलो।
हे भगवान! मेरी मदद करें और अच्छा देखने, अच्छा करने और अच्छा बनने के लिए मेरा मार्गदर्शन करें।
गतिविधि:
बगीचे में आपने जो देखा उसका एक चित्र बनाइए।
[संदर्भ: ‘साइलेंस टू साई-लेंस’- ए हैंडबुक फॉर चिल्ड्रेन, पेरेंट्स एंड टीचर्स द्वारा चित्रा नारायण एंड गायत्री रामचरण सांबू एमएसके- सत्य साई शिक्षा संस्थान- मॉरीशस प्रकाशन]