वदेदेवंउमापत
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लोकाचेबोल
- वदेदेवं उमापत सुरगुं, वदेजगकारणम
- वदेपनगभूषणं मृगधरं, वदेपूनां पतम् |
- वदेसूयांक व नयनं, वदेमुकुदयम्
- वदेभ जनायंच वरदं, वदेवंंकरम् ||
अथ
उमापत, दैवी गु आण वाचेकारण असेया देवाा मी वंदन करतो.
सपयाचेआभूषण आहे,यानेमृगचम / ाचमपरधान केेआहेआण जो सवाणमाांचा वामी आहेया
भूा मी वंदन करतो .
सूयचं आण अनी हेयाचेतीन ने आहेत आण याा वणुय आहे.
या देवाा मी वंदन करतो, भगण याया आय घेऊन, जो वरदाता आहे, जो परममंग आण ावत आनंद
देणारा आहे, अा देवाा मी वंदन करतो.
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स्पष्टीकरण
वंदे | मी वंदन करतो |
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उमापत | उमेचा (पावती) पत |
सुरगुं | दैवी गु |
जगकारनाम | वाचेअंतम कारण, कता |
पनगभूषणं | आप याचेआभूषण आह |
मृगधर | मृगचमधारण केेया |
पूनां पत | सवाणमाांचा भु,वामी |
सूय | सूय |
ाङक | चं |
वही | अन |
नयनं | ने |
मुकुं द यं | याा वणुय आहे |
भजनायं | भगणांचा आय |
वरद | वर देणारा |
वं | परम मंग, पव |
ंकरं | सुखदायक आनंददायक |
Overview
- Be the first student
- Language: English
- Duration: 10 weeks
- Skill level: Any level
- Lectures: 2
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