अहंवैश्वानरो - व्याख्या - Sri Sathya Sai Balvikas

अहंवैश्वानरो – व्याख्या

Print Friendly, PDF & Email
अहं मैं
वैश्वानर अग्नि
भूत्वा होकर
प्राणिनाम् सभी जीवित प्राणियों के देह में।
देहं शरीर
आश्रितः स्थित रहना
प्राणापान समायुक्तः जो प्राण एवं अपान से युक्त है।
पचामि पाचन करता हूँ
अन्नम् भोजन
चतुर्विधम चार प्रकार के।

प्रातिक्रिया दे

आपका ईमेल पता प्रकाशित नहीं किया जाएगा. आवश्यक फ़ील्ड चिह्नित हैं *

error: <b>Alert: </b>Content selection is disabled!!