आरोग्य एवं स्वच्छता की समूह-१ में आवश्यकता क्यों
स्वास्थ्य एक जीवन शैली है, केवल चिकित्सकीय दृष्टिकोण से नहीं,अपितु सम्पूर्ण एकीकृत उत्थान के लिए, जिसे हमें सामाजिक, आध्यात्मिक, सांस्कृतिक, शैक्षणिक, मनोवैज्ञानिक, आधार पर समझाना होगा, और साथ ही साथ उसमें पर्यावरण की देखरेख की शिक्षा को भी सम्मिलित करना होगा।
इन उद्देश्यों की शिक्षा, बहुत प्रारंभिक उम्र से ही, शुरू होनी चाहिए।
इस प्रकार, हम पाचन तंत्र श्वास संबंधी रोगों और अन्य शारीरिक व्याधियों के संक्रमण को समाज में फैलने से रोक सकेंगे।
जैसा कि हमारे शास्त्रों में कहा गया है कि यह शरीर अपने पुण्य कर्मों द्वारा संसार रूपी भवसागर को, पार करने की खेवनहार नौका है, और मोक्षदायिनी है। अर्थात् आध्यात्मिक उत्थान के लिए निरोगी काया अनिवार्य है।
- संतुलित भोजन और खान पान की सही पद्धति,
- अच्छी निद्रा,
- शारीरिक व्यायाम,
- मानव शरीर का यथायोग्य सम्मान,
- सुव्यवस्थित और सुचारू जीवनशैली मानसिक संतुलन बनाये रखना और अच्छी आदतों को शामिल करना आरोग्य एवम् स्वच्छता के अभिन्न अंग हैं।
स्वास्थ्य एवं स्वच्छता के नियम, बच्चों को कहानी कथन और भजन के उपरान्त बताने से, उनके मन मे जागरूकता, एवं गहरी छाप अंकित करेगा।
इस तरह के जागरूक विषयों पर, महीने में एक बार चर्चा करना आवश्यक है।