अनुशासन से संबंधित कुछ खेल
1. रूल या नो-रूल गेम:
गुरू छात्रों को कैरम बोर्ड या शतरंज या कोई अन्य बोर्ड खेल खेलने के लिए कह सकते हैं – केवल पूर्व शर्त यह है कि खेल के लिए किसी नियम का पालन नहीं करना है। प्रारंभ में छात्रों को यह विचार बहुत आकर्षक लगेगा, लेकिन एक बार जब वे खेलना शुरू करेंगे तो वे पाएँगे कि बिना किसी नियम के, खेल खेलने में वास्तव में कोई आकर्षण नहीं है; अंततः वे इसे काफी उबाऊ पाएँगे, क्योंकि कोई भी किसी भी तरह से खेल सकता है क्योंकि कोई नियम नहीं हैं। गुरू अब छात्रों को इस बिंदु पर चर्चा में ले जा सकते हैं कि कैसे नियम हमारे अपने भले के लिए बनाए जाते हैं और नियमों और विनियमों के बिना किसी भी गतिविधि में कोई वास्तविक चुनौती नहीं है, और ऐसा ही जीवन में भी है।
2. सही सवाल – गलत जवाब का खेल:
इस खेल में गुरू, कक्षा के लिए प्रश्नों का एक सेट तैयार करें। फिर बच्चों को निर्देश दें कि उनके पहले प्रश्न का उत्तर केवल “साईराम” ही होना चाहिए। जब दूसरा प्रश्न पूछा जाए, तो बच्चों को पहले प्रश्न का उत्तर देना है, और जब तीसरा प्रश्न पूछा जाए, तो दूसरे का उत्तर देना है इत्यादि। उत्तर बहुत मजेदार लगेंगे, और बच्चे इसका आनंद लेंगे।
उदाहरण के लिए कुछ प्रश्न और उत्तर निम्न प्रकार से हैं:
1. | आप अपने दाँत कब साफ करते हैं? | साई राम |
2. | आप किस समय टीवी देखते हैं? | प्रातः काल |
3. | आप ‘कराग्रे वसते’ यह प्रार्थना कब करते हैं? | उत्तर-शाम को जब मैं स्कूल से लौटता हूँ। |
4. | आप ब्रह्मार्पणम् कब कहते हैं? | उत्तर- जब मैं नींद से उठता हूँ, दिन शुरू करने से पहले। |
5. | क्या आप अपनी अलमारी को साफ करने के लिए समय देते हैं – यदि हाँ, तो कब? | हर दिन, अपना खाना खाने से पहले। |
6. | क्या आप नगर संकीर्तन गतिविधि में भाग लेते हैं और यदि हाँ, तो कब? | प्रत्येक रविवार, दोपहर 3 से 4 बजे के बीच। |
क्या जवाब मजाकिया नहीं हैं?
सीख
इस रोचक खेल-गतिविधि के पश्चात्, गुरू बच्चों के साथ विस्तार से चर्चा करें, कि बच्चों को उत्तर मजाकिया क्यों लगे, क्या होता है जब वे वास्तव में इन चीजों को अपने दैनिक जीवन में करते हैं आदि। जीवन में, यदि अनुशासन नहीं है, तो हम भी हँसी का पात्र बन जाएँगे। यह विश्लेषण इसलिए महत्वपूर्ण है ताकि गुरू, घर तक यह संदेश पहुँचा सकें कि अनुशासन के बिना जीवन बिना डोर वाली पतंग के समान है।