स्पर्श – पत्ता
प्यारे बच्चों!
आप एक विशाल वृक्ष के नीचे बैठे हैं। साँस अंदर और बाहर लें। धीरे से अपनी आंँखें बंद करें।
स्पर्श – पत्ता
प्यारे बच्चों!
आप एक विशाल वृक्ष के नीचे बैठे हैं। साँस अंदर और बाहर लें। धीरे से अपनी आंँखें बंद करें।
पास ही एक जलधारा पर तैरते हुए पत्ते को देखो। एक पेड़ से पत्ता गिर गया है। यह छोटा हो सकता है लेकिन इसकी नस पर एक छोटी सी चींटी बैठी है। इस प्रकार वह छोटी पत्ती नन्ही-सी चींटी के लिए एक जीवनरक्षक नौका बन गई है।
इससे हम कितना बढ़िया सबक सीखते हैं।
इस दुनिया में कुछ भी बेकार नहीं है। तैरते पत्ते की तरह हर कार्य के लिए ईश्वर की अपनी योजना और उद्देश्य है।
हमारा तैरता हुआ जीवन विश्व के काम आये। सभी पर दया करें और प्रेम का प्रकाश फैलाएंँ। एक छोटा सा पत्ता कई तरह से उपयोगी हो सकता है। क्या हम समाज के लिए उपयोगी नहीं बन सकते?
हाँ। जरूरतमंद लोगों को स्पर्श कर अपना जीवन उपयोगी बनाएंँ। प्रेम, देने और क्षमा करने से जीवित रहता है। सबमें प्यार फैलाओ।
अब धीरे से अपनी आंँखें खोलें।