अहंवैश्वानरो – व्याख्या

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अहं मैं
वैश्वानर अग्नि
भूत्वा होकर
प्राणिनाम् सभी जीवित प्राणियों के देह में।
देहं शरीर
आश्रितः स्थित रहना
प्राणापान समायुक्तः जो प्राण एवं अपान से युक्त है।
पचामि पाचन करता हूँ
अन्नम् भोजन
चतुर्विधम चार प्रकार के।

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