प्रत्येक में सत्य एक स्फुलिंग के रूप में विद्यमान है। उस चिंगारी के बिना कोई नहीं रह सकता। वह लौ ईश्वर है, क्योंकि वह सभी सत्य का स्रोत है। मनुष्य, जो वास्तविकता को जानना चाहता है, निरंतर सत्य की खोज में रहता है। सत्य समय, स्थान या विशेषता से संशोधित नहीं होता है। यह हमशा के लिए वही है, अप्रभावित और अपरिवर्तनीय। यह कभी भी किसी बाहरी कारक द्वारा असत्य सिद्ध नहीं होता है। वाणी में अप्रिय सत्य और सुखद असत्य दोनों से बचना चाहिए। इस खंड में सूचीबद्ध कहानी, “सत्य ही ईश्वर है” छात्रों को कक्षा में घटित एक रोचक तथा सरल घटना के माध्यम से दर्शाती है कि सत्य का पालन कैसे मनुष्य को अच्छा और महान बना सकता है।
सत्य
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