श्री रामकृष्ण मिशन का गठन
कार्य को ठोस आधार पर स्थापित करने हेतु, विवेकानन्द ने परमहंस के सभी मठवासियों एवं शिष्यों को एक बैठक में बुलाया तथा 1 मई, 1897 को श्री रामकृष्ण मिशन का गठन किया गया। उनके द्वारा प्रतिपादित मिशन के उद्देश्य और आदर्श पूरी तरह से आध्यात्मिक तथा मानवतावादी थे। उन्होंने अपने विचारों को क्रियान्वित करने के लिए मशीनरी का उद्घाटन किया था। अगले वर्ष, जब कलकत्ता में प्लेग फैल गया, तो उन्होंने मठ और आम शिष्यों की मदद से राहत कार्य का आयोजन करके प्लेग को नियंत्रण में लाकर गरीब लोगों की भरपूर मदद की। उनके जीवनी लेखक का कथन है, “स्वामी की कई विजयों में से एक सबसे बड़ी जीत उनके गुरुभाईयों का, धार्मिक जीवन का व्यक्तिवादी से राष्ट्रीय विचार में रूपांतरण था जिसमें सार्वजनिक सहयोग की भावना व साथी लोगों की सेवा का प्रमुख स्थान था।”