बालस्तावत्क्रीडासक्तः

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श्लोकाचे बोल
- बालस्तावत्क्रीडासक्तः
- तरुणस्तावत्तरुणीरक्तः
- वृद्धस्तावच्चिन्तासक्तः
- परमेब्रह्मणि कोsपि न सक्तः
अर्थ
बालवय असेपर्यंत तो (माणूस) खेळात मग्न असतो; तरुण वयात तो तरुणीमध्ये आसक्त होतो आणि वृद्धावस्थेत तो चिंता करण्यात बुडून जातो! परब्रह्मामध्ये (त्याचे ध्यान करण्यात) कोणीच मग्न होत नाही!

स्पष्टीकरण
| बालः | बालक |
|---|---|
| तावद् | तोपर्यंत |
| क्रीडा | खेळ |
| सक्तः | गुंतलेला |
| तरुण | युवक |
| तरुणी | युवती |
| वृद्धः | वयोवृद्ध माणूस |
| चिन्ता | काळजी |
| परमे | सर्वश्रेष्ठ |
| ब्रह्मणि | सर्वश्रेष्ठ तत्त्व |
| कोsपि | कोणीही |
| न सक्तः | मग्न नाही |
Overview
- Be the first student
- Language: English
- Duration: 10 weeks
- Skill level: Any level
- Lectures: 1
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