हरिर्दाता
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श्लोक
- हरिर्दाता हरिर्भोक्ता, हरिरन्नं प्रजापतिः।
- हरिर्विप्रशरीरस्तु भुङ्क्ते भोजयते हरिः||
भावार्थ
हे प्रभु! आप ही अन्न (भोजन) को देने वाले हैं और आप ही उसे ग्रहण करने वाले हैं। आप स्वयं अन्न हैं तथा सृष्टि के पालनकर्ता हैं! मनुष्य के शरीर में हरि स्वयं ही भोजन करने और कराने वाले हैं। हे प्रभु! सब कुछ तेरा ही है और तुझको ही समर्पित है!
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व्याख्या
हरि | भगवान विष्णु का नाम जो सब दु:खों और भ्रमों का हरण करता है! |
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दाता | देने वाला |
भोक्ता | भोगनेवाला |
प्रजापतिः | प्रजा (सृष्टि) का पालन करने वाले |
विप्रशरीरस्तु | मनुष्य के शरीर में |
भुङ्क्ते | खाता है। |
भोजयते | भोजन देता है। |
Overview
- Be the first student
- Language: English
- Duration: 10 weeks
- Skill level: Any level
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