वसुधैव कुटुम्बकम
(पशुओं के प्रति दया)
वसुधैव कुटुम्बकम एक ऐसा खेल है जिसमें बच्चों को संबंधित जानवरों के नाम के साथ दिए गए जानवरों की त्वचा के स्वरूप (पैटर्न) का मिलान करने की आवश्यकता होती है।
उद्देश्य:
यह खेल बच्चों को ईश्वर की सृष्टि की विशिष्टता को समझने और उसकी सराहना करने में सक्षम बनाता है जो कि विस्मयकारी विविधता की एक विस्तृत श्रृंखला की विशेषता है। हमारे शास्त्र हमें बताते हैं कि सारा संसार भगवान का परिवार है और सारी सृष्टि में दैवत्व विद्यमान है। हमें इस जागरूकता को अपने मन, वचन और कर्म में प्रकट करने का प्रयास करना चाहिए। खेल बच्चों को अपने पशु मित्रों के प्रति सहानुभूतिपूर्ण रवैया विकसित करने और उन्हें किसी भी तरह से नुकसान पहुँचाने से रोकने में मदद कर सकता है। बच्चे अंतर्निहित एकता का महत्व सीखते हैं, जिस पर अक्सर हमारे प्रिय स्वामी द्वारा जोर दिया जाता है – “सभी एक हैं; और सभी समान बनो|”
संबंधित मूल्य:
- अवलोकन
- स्मरण शक्ति
- जानने की जिज्ञासा
- अंतर करना
- प्रकृति और ईश्वर से प्रेम।
आवश्यक सामग्री:
गुरुओं को पशु/पक्षियों के चित्रों के फ्लैश कार्ड का एक सेट बनाने के लिए तस्वीरों को कार्डबोर्ड के टुकड़ों पर चिपकाने की आवश्यकता होती है। इसी प्रकार, गुरू जानवरों के नाम के साथ फ्लैश कार्ड का एक और सेट बना सकते हैं।
कैसे खेलें
- इस खेल में कक्षा को 2 समूहों में विभाजित किया जाता है।
- प्रत्येक समूह को, चित्र एवं उसके नाम वाले कुछ फ्लैशकार्ड दिए जाते हैं।
- उदाहरण देकर, गुरू कक्षा को समझाते हैं कि उन्हें उन जानवरों/पक्षियों का अनुमान लगाना है जिनके साथ त्वचा के पैटर्न मेल खाते हैं। (उदाहरण: मोर – पंख)
- यदि आवश्यक हो तो कुछ सुराग दिए जा सकते हैं।
- जो समूह पहले नामों के साथ सभी त्वचा पैटर्न को सही ढंग से मिलान करने में सक्षम होता है, वह विजेता होता है।
गुरुओं के लिए सुझाव:
गुरू गतिविधि को मानवीय मूल्यों से जोड़कर कक्षा को अधिक रोचक और प्रभावी बना सकते हैं। इसके साथ ही वे निम्नलिखित दुष्परिणामों पर प्रकाश डाल सकते हैं, जैसे-
- जानवरों का शिकार करना, उनकी त्वचा(खाल) के लिए उनको मारना, जानवरों के प्रति क्रूरता, आदि। इस विषय पर प्रश्नोत्तरी आयोजित की जा सकती है।
- गुरू जानवरों के प्रति स्वामी के प्रेम के बारे में बात कर सकते हैं – कुत्ते, हाथी साई गीता, मुर्गा, भैंस, गाय, हिरण, आदि।
- गुरू, कामधेनु के विषय में शास्त्र-लिखित ज्ञान चर्चा कर सकते हैं। गाय को किस प्रकार गोमाता या अन्य मवेशियों की मां के रूप में चित्रित किया गया है। हिंदू धर्म गायों का सम्मान करने और उनकी रक्षा करने में विश्वास करता है।
- इस गतिविधि के अंतर्गत बच्चों से गणेश और कार्तिकेय के साथ बैठे भगवान शिव और पार्वती के परिवार की लोकप्रिय छवि के बारे में भी बात कर सकते हैं। इस तस्वीर में अलग-अलग जानवर और पक्षी मौजूद हैं। सभी जानवर पूर्ण सामंजस्य में हैं। यह तस्वीर अनेकता में एकता की मिसाल है।
- इसके बाद जानवरों के प्रति दया पर एक समूह चर्चा हो सकती है। बच्चों को इस विषय पर पोस्टर बनाने के लिए कहा जा सकता है।
विविध:
समूह 1:जानवरों की त्वचा के पैटर्न का मिलान बिना कोई सुराग दिए किया जा सकता है।
समूह 2:पत्तियों को पेड़ों से मिलाना।
पौराणिक कथाओं से शिक्षा:
उदाहरणार्थ – मछली :: मत्स्य अवतार, तोता :: शुक मुनि, बाघ :: भगवान अयप्पा, मयूर :: कृष्ण और कार्तिकेय, कछुआ :: इंद्रिय नियंत्रण, सफेद और काली धारियों वाला ज़ेबरा :: जीवन में विपरीतता का प्रतीक जैसे सुख-दुख।