नमस्तेऽस्तु
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श्लोक
- नमस्तेऽस्तु महामाये
- श्रीपीठे सुरपूजिते।
- शंखचक्रगदाहस्ते
- श्री महालक्ष्मी नमोऽस्तुते।।
भावार्थ
हे महालक्ष्मी! तुम भगवान की मायाशक्ति और समस्त समृद्धि का उद्गम स्थान हो। समस्त देव तुम्हारी आराधना करते हैं। हाथों मे शंख चक्र व गदा धारण करनेवाली देवी! मैं तुम्हें नमस्कार करता हूँ।
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व्याख्या
नमस्तेऽस्तु | तुम्हें नमस्कार करते हैं । |
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महामाये | भगवान की महामाया शक्ति। |
श्रीपीठे | सम्पत्ति तथा समृद्धि की अधिष्ठात्री देवी। |
सुरपूजिते | देवताओं द्वारा पूजित। |
शंखचक्रगदाहस्ते | शंख (नाद), चक्र (काल) तथा गदा (शक्ति) जिनके हाथों में हैं। |
महालक्ष्मी | सौभाग्य, समृद्धि, वैभव की देवी। |
नमोऽस्तुते | तुम्हें नमस्कार है। |
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