भव्य उद्घोष
उद्देश्य:
बच्चों की कल्पना शक्ति को जगाने वाली एक अनोखी गतिविधि करवाना।
संबंधित मूल्य:
कल्पना शक्ति
जिज्ञासु प्रवृत्ति तथा प्रशंसा की भावना को बढ़ाना।
आवश्यक सामग्री:
- कटोरा
- जिनमें से प्रत्येक पर्ची पर लिखा है, ‘अगर मैं फूल होता, तो मैं बनना चाहूंँगा – (अन्य उदाहरण – रामायण, महाभारत, संत, महान व्यक्तित्व, पेड़, पूजा सामग्री, पांँच तत्व, पशु, पक्षी)
- संगीत/भजन।
गुरू के लिए प्रारंभिक कार्य:
कोई नहीं
कैसे खेलें:
- गुरू बच्चों को एक घेरा बनाकर बैठने को कहती हैं।
- वह खेल समझाती हैं।
- मुड़ी हुई पर्चियों वाला कटोरा एक बच्चे से दूसरे बच्चे को दिया जाता है।
- जब संगीत/भजन बंद हो जाता है तो जिस बच्चे के पास कटोरा होता है वह उसमें से एक पर्ची उठाता है।
- उदाहरण 1 – यदि पर्ची में ‘फूल’ शब्द है, तो बच्चा कह सकता है, ‘अगर मैं फूल होता, तो मैं कमल बनना चाहूंँगा क्योंकि यह हमारा राष्ट्रीय फूल है।’
- उदाहरण 2 – यदि पर्ची में ‘पूजा का सामान’ शब्द हो तो बच्चा कह सकता है, ‘अगर मैं पूजा का सामान होता, तो मैं एक दीपक बनना पसंद करता, क्योंकि यह सबको रोशन करता है।
- इस प्रकार खेल तब तक जारी रहता है जब तक कि सभी पर्चियांँ समाप्त न हो जाएंँ एवं प्रत्येक बच्चे को अपनी कल्पना को उड़ान देने का मौका न मिल जाए।