अनुद्वेगकरं
ऑडियो
श्लोक
- अनुद्वेगकरं वाक्यं सत्यं प्रियहितं च यत।
- स्वाध्यायाभ्यसनं चैव वांगमयं तप उच्यते ।।
भावार्थ
रोष उत्पन्न न करने वाला सत्य, प्रिय और हितकारी वाणी, पवित्र ग्रंथों के अध्ययन के अभ्यास को वाक् तप कहा जाता है।
व्याख्या
अनुद्वेगकरं | निरापद, किसी को भी उद्विग्न न करने वाला |
---|---|
वाक्यम् | वाणी |
सत्यम् | सत्य |
प्रियहितम् | प्रिय तथा हितकारी |
च+यत् | और, जो |
स्वाध्यायायाभ्यासनं = स्वाध्याय+ अभ्यसनं | पवित्र ग्रंथों का अध्ययन और नाम जप आदि का अभ्यास |
चैव = च + एव | और, भी |
वांगमयं तप | वाणी का तप |
उच्यते | कहलाते हैं। |
Overview
- Be the first student
- Language: English
- Duration: 10 weeks
- Skill level: Any level
- Lectures: 1
-
FURTHER READING