युक्तः कर्मफलं
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ऑडियो
श्लोक
युक्तः कर्मफलं त्यक्त्वा, शांतिमाप्नोति नैष्ठिकीम्।
अयुक्तः कामकारेण फले सक्तो निबध्यते ॥
भावार्थ
जो व्यक्ति कर्मों के फलों का त्याग करता है, उसे भगवन्निष्ठा रूपी शान्ति प्राप्त होती है तथा वह योगी कहा जाता है। अस्थिर चित्त व्यक्ति अपनी इच्छाओं के कारण एवं कर्मफल की आसक्ति रखने से संसार के बंधन में पड़ जाता है।
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व्याख्या
युक्तः | निष्काम कर्म योगी। |
---|---|
कर्मफलं | कर्मों के फल |
त्यक्त्वा | त्यागकर। |
शान्तिं | शांति को। |
आप्नोति | प्राप्त करता है। |
नैष्ठिकीम् | भगवत् प्राप्ति रूप। |
अयुक्त: | अस्थिर चित्त वाला व्यक्ति। |
कामकारेण = काम+कारेण | इच्छा अथवा कामनाओं के कारण। |
फले | फल में |
सक्त: | आसक्त होकर। |
निबध्यते | बाध्य हो जाता है |
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