योगरतो वा भोगरतो वा
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श्लोकाचे बोल
- योगरतो वा भोगरतो वा
- संगरतो वा संगविहीनः
- यस्य ब्रह्मणि रमते चित्तं
- नन्दति नन्दति नन्दत्येव
अर्थ
माणूस योगात मग्न असो वा भोगात; तो संसारी असो वा संन्यासी; त्याचे चित्त जर ब्रह्माच्या ठिकाणी रमत असेल तर त्याला आनंद प्राप्त होतो; त्याला परमानंद प्राप्त होतो!
स्पष्टीकरण
योगरतो | योगाभ्यास करण्यात मग्न |
---|---|
वा | किंवा |
भोगरतो | लौकिक उपभोगात मग्न |
संगरतो | सत्संगतीत मग्न |
संगविहीनः | संन्यासी |
यस्य | ज्याचे |
ब्रह्मणि | परब्रह्माच्या ठिकाणी |
रमते | रममाण होते |
चित्तम् | चित्त |
नन्दति | आनंदी होतो |
नन्दति एव | त्याला परमानंद लाभतो |
Overview
- Be the first student
- Language: English
- Duration: 10 weeks
- Skill level: Any level
- Lectures: 0
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