मन्मना भव

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श्लोकाचे बोल
- मन्मना भव मद्भक्तो मद्याजी मां नमस्कुरु।
- मामेवैष्यसि युक्त्वैवमात्मानं मत्परायण:॥
अर्थ
माझ्या ठिकाणी मन केंद्रित कर, माझा भक्त हो, माझे यजनपूजन कर, मला नमस्कार कर, याप्रमाणे ‘मी’ हेच सर्वोच्च ध्येय मानून मत्परायण झालास (माझ्या ठिकाणी स्वतःला जोडून घेतलेस) की तू मलाच येऊन पोहोचशील.

स्पष्टीकरण
| मन्मना | माझ्यावर मन केंद्रित |
|---|---|
| भव | बन (माझ्या ठिकाणी मन ठेव) |
| मद् | माझा |
| भक्त: | भक्त |
| याजी | पूजक |
| माम् | मला |
| नमस्कुरु | नमस्कार कर |
| एव | फक्त (माझ्याकडेच) |
| एष्यसि | येशील |
| युक्त्वा | जोडून(योगयुक्त होऊन) |
| एवं | अशा प्रकारे |
| आत्मानं | स्वतःला |
| मत्यरायणः | ‘मी’ हेच सर्वोच ध्येय मानून |
Overview
- Be the first student
- Language: English
- Duration: 10 weeks
- Skill level: Any level
- Lectures: 1
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