धर्म समय या स्थान का विषय नहीं है जिसे संशोधित किया जा सकता है और वर्तमान परिस्थितियों की आवश्यकताओं तथा दबावों के अनुसार समायोजित किया जा सकता है। धर्म से तात्पर्य है वे मूलभूत सिद्धांत जो मानव जाति को आंतरिक सद्भाव एवं बाह्य शांति की ओर उन्मुख होने में उसका मार्गदर्शन करें। (1 अप्रैल 1963) यदि सूर्य अपनी जीवनदायिनी किरणें देने में असफल रहा तो यह एक आपदा होगी। प्रकृति हमें सही आचरण के मार्ग पर चलने के लिए प्रेरित करती है, जो शांति की ओर ले जाती है। क्या उत्तम है? यह ईश्वर को ही ज्ञात है’ शीर्षक वाली कहानी में दो मूल्य निहित हैं, कर्तव्य (धार्मिक कार्य) तथा संतोष (शांति)।
शांति & धर्म
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