सत्य जब आचरण में परिलक्षित होता है तब जीवन धार्मिक हो जाता है। वेद ने इसी तत्व को सिखाया है, “सत्यम् वद,धर्मम् चर”(सत्य बोलो धर्म पर चलो)। सत्य का आचरण ही सही अर्थ में धर्म है।मनुष्य को इसका अक्षरशः पालन करना चाहिए।
सही आचरण कोमल उम्र से शुरू होना चाहिए, यह न केवल उसकी स्वयं की उन्नति हेतु हितकर है, अपितु पूरे समाज तथा देश की सही दिशा में प्रगति में सहायक है। जब चरित्र में सुंदरता होती है, तो घर में सामंजस्य होता है। जब घर में सद्भाव होता है, तो देश में व्यवस्था होती है। जब देश में व्यवस्था होती है तो दुनिया में शांति होती है ।”
बाल विकास प्रथम समूह के बच्चों में सही आचरण के महत्व को उनके जीवन मे प्रभावी रूप से स्थापित करने के लिये कहानियाँ, जिनमें उपमूल्य जैसे, ईमानदारी, मानव सेवा माधव सेवा, प्रयास ही सफलता की कुंजी है, माता पिता का सम्मान करो, आदि को प्रथम वर्ष के पाठ्यक्रम में सम्मिलित किया गया है।