श्रद्धावाँल्लभते

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श्लोक
श्रद्धावाँल्लभते ज्ञानं तत्परः संयतेंद्रियः ।
ज्ञानं लब्ध्वा परां शांतिमचिरेणाधिगच्छति।।
भावार्थ
जिस व्यक्ति में ईश्वर के प्रति दृढ विश्वास तथा ज्ञान प्राप्ति की उत्सुकता है तथा जिसने अपनी इंद्रियों पर पूर्ण नियंत्रण प्राप्त कर लिया है (जितेंद्रिय), उसे ज्ञान प्राप्त हो जाता है और जिसे यह ज्ञान प्राप्त होता है उसे तत्काल परमशांति प्राप्त होती है।

व्याख्या
| श्रद्धावान् | वह व्यक्ति जिसमें श्रद्धा हो। |
|---|---|
| लभते | प्राप्त होता है। |
| ज्ञानं | ज्ञान को। |
| तत्पर: | ज्ञान प्राप्ति के लिए अत्यंत उत्सुक, जिज्ञासु। |
| संयतेन्द्रिय: | जितेन्द्रिय, जिसने इंद्रियों पर नियंत्रण प्राप्त किया हो। |
| ज्ञानं | ज्ञान। |
| लब्धवा | प्राप्त कर के। |
| परां | श्रेष्ठ, परम। |
| शान्तिं | शान्ति को। |
| अचिरेण | तत्काल। |
| अधि गच्छति | अनुभव करता है, प्राप्त हो जाता है। |
Overview
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- Language: English
- Duration: 10 weeks
- Skill level: Any level
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