सुप्रभातम्- समस्त पद
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अर्थ सहित शब्द रचना
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ईश्वराम्बा सुत श्रीमन्
पूर्वा संध्या प्रवर्तते
उत्तिष्ठ सत्य साईशा
कर्त्तव्यम् दैवमाह्निकम्॥१॥
हे ईश्वराम्बा के पुत्र भगवान या ऐश्वर्ययुक्त आभा से मंडित भगवन पूर्व अरुणोदय हो रहा है। सत्य पर चलने का ईश्वरीय कर्त्तव्य का संकल्प जो आपने लिया है, वह पूर्ण करना है अतएव हे सत्य साई भगवान जागिए, उठिए।
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उत्तिष्ठोत्तिष्ठ पर्तीश
उत्तिष्ठ जगती पते
उत्तिष्ठ करुणापूर्णा
लोक मंगल सिद्धये ॥२॥
जागो, जागो हे! पुट्टपर्ती के भगवान, समस्त संसार के स्वामी, जगन्नाथ जागिए। हे करुणामय साई जागो, जिससे संसार के साधारण जन भी मंगल को प्राप्त कर सकें। [पुट्टपर्ती वह स्थान है जहाँ भगवान ने अवतार लिया है और वे अपने आलोक से सम्पूर्ण संसार को आलोकित कर रहे हैं|]
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चित्रावती तट विशाल सुशान्त सौधे
तिष्ठन्ति सेवक जनास्तव दर्शनार्थम् |
आदित्य–कांतिरनुभाति समस्त लोकान्
श्री सत्य साई भगवन् तव सुप्रभातम् ॥३॥
चित्रावती नदी के तट पर स्थित शांति और सौम्यता के प्रतीक प्रशांति निलयम के विशाल प्राँगण में भक्तजनों का समुदाय आपके दर्शनार्थ प्रतीक्षारत बैठा हुआ है। सूर्य की किरणें समस्त संसार में अपनी आभा से प्रकाशित कर रही हैं। हम अपने अन्त करण में स्थित दिव्यता को जगाने के लिए प्रार्थना कर रहे हैं।
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त्वन्नामकीर्तन रतास्तव दिव्य नाम
गायन्ति भक्ति रसपान प्रहृष्टचित्ताः
दातुम कृपा सहितदर्शनमाशु तेभ्यः
श्री सत्य साई भगवन् तव सुप्रभातम ॥४॥
भगवन आपके भक्त, प्रेम और भक्ति रस का आनंद चखते हुए जोर-जोर से आपका नाम संकीर्तन कर रहे हैं। उनका हृदय आनंदमग्न हो रहा है। आप उन्हें शीघ्र ही अपने दर्शनों से कृतार्थ कीजिए। भगवन, हम मंगलमय प्रभात के लिए आपसे प्रार्थना करते हैं। यह शुभ प्रभात भक्तों के लिए कल्याणकारी हो।
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आदाय दिव्य कुसुमानि मनोहराणि
श्रीपाद पूजन विधिम् भवदङ्घ्रिमूले।
कर्तुं महोत्सुकतया प्रविशन्ति भक्ताः
श्री सत्य साई भगवन् तव सुप्रभातम् ॥५॥
भक्तगण भगवान के चरणों की पूजा के लिए शास्त्रों में बताए अनुसार बहुत ही मनोहारी रंग-बिरंगे पवित्र पुष्पों को लाए हैं। वे बहुत सारी आकाँक्षाओं के साथ उत्साहपूर्वक आए हैं। हे भगवान उनकी अन्तः चेतना को जागृत करके आशीर्वाद दीजिए।
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देशान्तरागत बुधास्तव दिव्य मूर्तिम्
संदर्शनाभिरति संयुत चित्तवृत्त्या ।
वेदोक्तमंत्र पठनेन लसन्त्यजस्त्रं
श्री सत्य साई भगवन् तव सुप्रभातम् ॥६॥
अन्य देशों से आए हुए बुद्धिमान लोग आपके दर्शनों के लिए बैठे हुए हैं। आपके दिव्यस्वरूप को देखने की उनकी तीव्र उत्कंठा है। उन्हें वैदिक मंत्रों का गायन करने में अत्यधिक आनंद का अनुभव हो रहा है।
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श्रुत्वा तवाद् भुत चरित्रमखण्ड कीर्तिम्
व्याप्तां दिगन्तर विशाल धरातलेऽस्मिन् ।
जिज्ञासुलोक उपतिष्ठति चाश्रमेऽस्मिन्
श्री सत्य साई भगवन् तव सुप्रभातम् ॥७॥
आपके चरित्र की चमत्कारिक, अद्भुत कहानियाँ और दूर-दूर तक फैली प्रसिद्धि को सुनकर सत्य की खोज करने के उत्सुक जिज्ञासु लोग आपके आश्रम के प्रांगण में बैठे दर्शनों की और अन्तः जागरण की प्रतीक्षा कर रहे हैं।
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सीता सती सम विशुद्ध हृदम्बुजाता
बह्वंगना करगृहीत सुपुष्पहारा ।
स्तुन्वन्ति दिव्यनुतिभिः फणिभूषणंत्वां
श्री सत्य साई भगवन् तव सुप्रभातम् ॥८॥
भक्त सीता के समान पवित्र है क्योंकि उनके हृदय कमल के समान है, जिस तरह कमल जल में रहते हुए भी जल में आसक्त नहीं है उसी तरह इन भक्तों के हृदय सांसारिक भोग-विलास से अनासक्त हैं। ऐसे अनासक्त, पवित्र हृदयी भक्त आपका दिव्य गुणानुवाद करते हुए, आपकी स्तुति करते हुए, आपका नाम संकीर्तन करते हुए, आपके पास आए हैं। वे सुंदर पुष्पों की माला आपके लिए, अपने प्रभु के लिए, अपने महाप्रभु शिव के लिए, जो अपने कंठ में सर्पों की माला सुशोभित किए हैं, लाए हैं। हम आपका आशीर्वाद पाने के लिए प्रार्थना करते हैं जिससे हम अपने दिव्यत्व को जागृत कर सकें और सबमें दिव्यत्व को देख सकें।
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सुप्रभातमिदम् पुण्यम्
ये पठन्ति दिने दिने
ते विशन्ति परम् धाम
ज्ञान विज्ञान शोभिताः ॥ ९ ॥
जो सुप्रभातम् का प्रतिदिन गायन करता है वह दिव्य ज्ञान और उच्चतम विवेक के दिव्य प्रकाश से आलोकित परम धाम को प्राप्त करता है। सद्गुरु साई प्रतिदिन हमारी आत्मिक चेतना को जागृत करे|
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मंगलम् गुरुदेवाय,
मंगलम् ज्ञानदायिने ।
मंगलम् पर्तिवासाय,
मंगलम् सत्य साईने ॥१०॥
हे दिव्य गुरुदेव आप हम सभी के लिए मंगलकारी हो। आप हमको सुज्ञान प्रदान कीजिए। हे पुट्टपर्ती (प्रशान्ति निलयम) वासी भगवान श्री सत्य साई बाबा! आप हम सभी का मंगल करें। आप हम सभी का कल्याण करें।
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