वक्रतुंड महाकाय
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श्लोक
- वक्रतुंड महाकाय
- सूर्यकोटि समप्रभ।
- निर्विघ्नं कुरू मे देव
- सर्वकार्येषु सर्वदा॥
भावार्थ
श्रीगणेश जिनकी सूंड टेढ़ी है, शरीर विशाल है, जो करोड़ों सूर्य के समान तेजस्वी हैं, उनसे प्रार्थना है कि वे मेरे सभी सद्कार्यों को बिना बाधा के सम्पन्न करें।
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व्याख्या
वक्र | टेढ़ी |
---|---|
तुण्ड | सूंडवाले |
महाकाय | विशाल शरीरवाले |
कोटि | करोड़ों |
सूर्य | रवि, सूरज |
समप्रभ | के समान प्रकाश है। |
निर्विघ्नं | बाधारहित |
कुरू | करो |
में | मुझे |
देव | हे भगवान |
सर्व | सब |
कार्येषु | कामों में |
सर्वदा | हमेशा, सदैव |
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