करचरण

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श्लोकाचे बोल
- करचरणकृतं वाक् कायजं कर्मजं वा
- श्रवणनयनजं वा मानसं वाऽपराधम्
- विहितमविहितं वा सर्वमेतत् क्षमस्व
- जय जय करूणाब्धे श्री महादेव शंभो
अर्थ
हे प्रभो, कळत नकळत कमेंद्रियांकडून (कर्मेंद्रिये – हात, पाय बोलणं इत्यादी), ज्ञानेंद्रियांकडून (ज्ञानेंद्रिये – कान, डोळे) किंवा मनाकडून घडलेल्या अपराधाबद्दल मला क्षमा कर. हे करूणेचा सागर असलेल्या देवा, तुझा जयजयकार असो.
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स्पष्टीकरण
| कर | हात (काही तरी कृती करण्याची क्रिया कोण करते) |
|---|---|
| चरण | पाय (चालण्याची क्रिया कोण करते) |
| कृतं | क्रिया कोणी केली |
| वाक् | वाचा, वाणीची शक्ती |
| कायजं | शरीर, शारीरिक क्रिया |
| कर्मजं | सर्व कामांचा परिणाम |
| वा | किंवा, आणि, सुद्धा |
| श्रवण | कानाने ऐकण्याची क्रिया |
| नयनजं | पाहण्यामुळे उत्पन्न होणारे |
| मानसं | मनामुळे निर्माण होणारे |
| अपराधं | गुन्हा, दुष्कृत्य |
| विहितं | चांगले, योग्य कार्य/ क्रिया |
| अविहितं | अयोग्य वा पीडादायक (निषिध्द) कार्य |
| सर्वम | सगळे |
| एतत् | या |
| क्षमस्व | (तू) क्षमा कर. (ह्या सगळ्याबद्दल तू क्षमा कर.) |
| जय | विजय असो |
| करूणाब्धे | करूणेचा सागर |
| श्री महादेव | महान् (सर्वशक्तिमान असा प्रभू) |
| शंभो | जो कल्याणकारी होतो (असतो) तो |
Overview
- Be the first student
- Language: English
- Duration: 10 weeks
- Skill level: Any level
- Lectures: 2
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