गुरुपद रंजन राम
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भजन
- गुरुपद रंजन राम जय जय,
- बन्ध विमोचन, राजीव लोचन,
- अभय कराम्बुज राम जय जय,
- (जय जय राम, जय जय राम, सीता राम)
भावार्थ
श्रेष्ठ शिक्षक भगवान राम की विजय हो, जो हमें सांसारिक बंधनों से मुक्त करते हैं, जिनकी आँखें कमल के समान सुंदर होती हैं, जिनके कमल जैसे हस्तों से हमारा भय दूर होता है, ऐसे राम की जय हो, सीता के पति राम की जय हो।
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व्याख्या
गुरुपद | गु – अज्ञान; रु – निराकरण करना ; पद – चरण |
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रंजन | आकर्षक |
राम | भगवान श्री राम; धर्म का मूर्तरूप |
जय | आपकी जय – जय कार हो। विजय हो। |
बन्ध | बंधन |
विमोचन | राहत |
राजीव | कमल; पंकज; नीरज |
लोचन | आँख , नेत्र |
अभय | भय रहित, निर्भय |
करामभुज | कर – भुज; हाथ, अम्बुज – कमल; पंकज; नीरज |
सीता राम | सीता के पति राम |
Overview
- Be the first student
- Language: English
- Duration: 10 weeks
- Skill level: Any level
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