श्रेयो हि
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श्लोक
श्रेयो हि ज्ञानमभ्यासाज्ज्ञानाध्दयानं विशिशष्यते।
ध्यानात्कर्मफल त्यागस्त्यागाच्छान्तिरनन्तरम्।।
भावार्थ
अंतर्दृष्टि के बिना किये गए अभ्यास की अपेक्षा ज्ञान बेहतर है। ज्ञान से उत्तम परमेश्वर का ध्यान है तथा ध्यान से श्रेष्ठ है कर्मफल का त्याग, क्योंकि ऐसे त्याग से ही शांति होती है। शांति वह लक्ष्य है, जिसके लिए मनुष्य जीवन में प्रयास करता है।
व्याख्या
श्रेयोहि | श्रेष्ठ |
---|---|
ज्ञानम् | ज्ञान |
अभ्यासात् | अभ्यास से अधिक |
ज्ञानात् | ज्ञान से भी बढ़कर |
ध्यानम् | ध्यान |
विशिष्यते | बेहतर है, श्रेष्ठ है |
ध्यानात् | ध्यान से भी |
कर्मफल त्याग: | कर्मफल की इच्छा का त्याग |
त्यागात् | त्याग से |
शान्ति: | परम शांति प्राप्त हो जाती है |
अनन्तरम् | तत्काल ही। |
Overview
- Be the first student
- Language: English
- Duration: 10 weeks
- Skill level: Any level
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