पुरुषः स
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श्लोकाचे शब्द किंवा बोल
- पुरुषः स परः पार्थ भक्त्या लभ्यासत्वनन्या।
- यस्यान्तः स्थानि भूतानि येन सर्वमिदं ततम्॥
अर्थ :
हे अर्जुना, ज्याच्या अंतर्भागी सर्व प्राणीमात्र राहतात व ज्याने हे सर्व व्यापलेले आहे तो सर्वश्रेष्ठ पुरुष फक्त अनन्य भक्तीनेच लाभणार आहे.
स्पष्टीकरण
पुरुष: | सर्वश्रेष्ठ पुरुष |
---|---|
स: | तो |
पर: | सर्वश्रेष्ठ |
पार्थ | अर्जुना , पृथाचा पुत्र |
भक्त्या | भक्तीने |
लभ्यः | मिळतो |
त्व | पण |
अनन्यया | अनन्य |
यस्य | ज्याच्या |
अन्तःस्थानि | अंतर्भागी राहतात |
भूतानी | सर्व जीव |
येन | ज्याच्या योगाने |
सर्वम | सगळे |
इदम् | हे |
ततम् | व्यापलेले आहे |
Overview
- Be the first student
- Language: English
- Duration: 10 weeks
- Skill level: Any level
- Lectures: 1
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