अनुभवात्मक अधिगम (सीखना), शिक्षण के लिए एक समग्र दृष्टिकोण है। यह आंतरिक एकीकरण प्रदान करता है क्योंकि इसमें अनुशासन की कृत्रिम बाधाएँ समाप्त हो जाती हैं। यहांँ कुछ प्रमुख बिंदु दिए गए हैं, जिन्हें कक्षा संचालित करने से पहले गुरू को अवश्य देखना चाहिए।
- गुरू बालविकास प्रथम समूह के पाठ्यक्रम में देख सकते हैं कि अनुभवात्मक अधिगम ‘माइंड मैपिंग और वेब चार्टिंग’ के चरण तक सीमित है, अर्थात्, ‘कैसे आगे बढ़ें’ शीर्षक के तहत निम्नलिखित दस्तावेज़ में दिए गए पहले 4 चरणों तक ही सीमित है।
- यद्यपि यहांँ पूरी प्रक्रिया दी गई है ताकि गुरू इस गतिविधि और इसके लाभ को पूरी तरह से समझ सकें।
- यह ध्यान दिया जाना चाहिए कि सैद्धांतिक भाग केवल गुरुओं की समझ के लिए है और इसकी कक्षा में “पाठ के रूप में पढ़ाए जाने” की आवश्यकता नहीं है।
- बालविकास वर्ग में अकेले प्रायोगिक गतिविधि करने की आवश्यकता है।
- अनुभवात्मक अधिगम पर इस आलेख के अंत में एक नमूना गतिविधि दी गई है।
[इंस्टीट्यूट ऑफ सत्य साईं एजुकेशन, मुंबई द्वारा प्रकाशित पुस्तक ‘टूवर्ड्स ह्यूमन एक्सीलेंस श्री सत्य साईं एजुकेशन फॉर स्कूल’ पुस्तक 7, “अनुभवात्मक शिक्षा” से उद्धृत।]