नलिनीदलगत
ऑडियो
श्लोक
- नलिनीदलगत जलमति तरलं,
- तद्वज्जीवितमतिशय चपलम्।
- विद्धिव्याध्यभिमान ग्रस्तं,
- लोकं शोकहतम् च समस्तम्॥
भावार्थ
कमल के पत्ते पर पड़ी हुई जल की बूंद के समान ही मनुष्य जीवन भी अस्थिर है। यह जीवन अभिमान, शोक तथा विभिन्न रोगों से पीड़ित है। वास्तव में यह जीवन विभिन्न दुःखों से ग्रस्त है।
व्याख्या
नलिनीदलगत | कमलपत्र पर एकत्रित |
---|---|
जल | पानी |
अति तरलम् | अत्यंत अस्थिर |
तद्वत् | उसी तरह |
जीवितम् | जीवन |
अतिशय | बहुत |
चपलम् | चंचल |
विद्धि | अवश्य जान लो |
व्याधि | रोग |
अभिमान | अहंकार |
ग्रस्तम् | जकड़ा हुआ |
लोकम् | लोग |
शोक | दुख |
हतम् | घायल |
च | और |
समस्तम् | संपूर्ण |
Overview
- Be the first student
- Language: English
- Duration: 10 weeks
- Skill level: Any level
- Lectures: 0
The curriculum is empty