इदं शरीरं

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श्लोक
- इदं शरीरं कौन्तेय क्षेत्रमित्यभिधीयते ।
- एतद्यो वेत्ति तं प्राहुः क्षेत्रज्ञ इति तद्विदः ॥
भावार्थ
हे कुंती के पुत्र! (अर्जुन) इस शरीर को क्षेत्र के रूप में वर्णित जानो। जो इस वर्णन को समझ लेता है वह क्षेत्र का स्वामी कहलाता है।
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व्याख्या
| इदम् | यह |
|---|---|
| शरीरम् | शरीर |
| कौन्तेय | हे कुंती के पुत्र (अर्जुन) |
| क्षेत्र मित्यभिधीयते | क्षेत्र (खेत) के रूप में जानने वाले |
| एतद्यो | इस क्षेत्र को |
| वेत्ति | जानता है |
| तम् | उसे |
| प्राहु: | कहते हैं |
| क्षेत्रज्ञ-इति | क्षेत्र के ज्ञाता के रूप में |
| तद्विद:= तत् +विद: | क्षेत्र और क्षेत्रज्ञ के बारे में जानने वाले, ज्ञानी। |
Overview
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- Skill level: Any level
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