“जब आप ईश्वर के किसी नाम को दोहराते हैं, तो उस रूप की सारी मिठास और उससे जुड़ी महिमा याद आनी चाहिए। जिस प्रकार अपनी पसंद के किसी मीठे पकवान को याद करके आपके मुंह में पानी आ जाता है। जब आप इसका चिंतन करते हैं तो आपका दिमाग “पानी” होना चाहिए। कोई भी नाम चुनें जो आपके हृदय को मोहित कर लेता है। धन के पीछे क्यों भागते हैं, जबकि धन से मिलने वाले सुख से सौ गुना सुख, नाम का ध्यान करने से मिल सकता है? भगवान कहते हैं “जहाँ मेरा नाम स्मरण किया जाता है, मैं वहाँ स्थापित होता हूँ।” अत: मात्र जिव्हा ही उसे जीतने के लिए पर्याप्त है। वह जिव्हा जो शुद्ध हृदय की भाषा बोलती है।” -बाबा
आइए हम सभी इन नारायण भजनों के माध्यम से अत्यधिक विश्वास और प्रेम के साथ ईश्वर को पुकारें।























