त्रिविधं

ऑडियो
श्लोक
- त्रिविधं नरकस्येदं द्वारं नाशनमात्मन:
- काम: क्रोधस्तथा लोभस्तस्मादेत्त्रयं त्यजेत्।।
भावार्थ
काम, क्रोध तथा लोभ तीनों नरक का द्वार हैं, जो स्वयं को बर्बाद कर देता है। (काम, क्रोध और लोभ का फल अभी और यहाँ भी एवं भविष्य में भी भोगना पड़ता है)। इसलिए इन तीनों का त्याग कर देना चाहिए।

व्याख्या
त्रिविधम् | तीन |
---|---|
नरकस्येदम् = नरकस्य + इदं | नरक के |
द्वारम् | द्वार, दरवाजे |
नाशनमात्मन: | जीवात्मा का पतन करने वाले |
काम: | वासना |
क्रोधः | क्रोध |
तथा | और |
लोभ: | लालच |
तस्मात् | इसलिए |
एतत् | इन |
त्रयम् | तीनों का |
त्यजेत् | त्याग कर देना चाहिए (छोड़ देना) |
Overview
- Be the first student
- Language: English
- Duration: 10 weeks
- Skill level: Any level
- Lectures: 1
-
FURTHER READING