पत्र पुष्पं

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श्लोकाचे बोल
- पत्र पुष्पं फल तोयं यो मे भक्त्या प्रयच्छति।
- तदहं भक्त्युप हृतमश्नामि प्रयतात्मनः ।।
अर्थ
एकाद्या व्यक्तीने संपूर्ण भक्तिभावाने मला पान, फूल, फळ, पाणी जरी अर्पण केले, तरी मी स्वीकार करतो, कारण या वस्तू विशुद्ध अंत:करणाच्या व्यक्तीने, भक्तीने अर्पण केलेल्या असतात.

स्पष्टीकरण
| पत्रं | पान |
|---|---|
| पुष्पं | फूल |
| फलं | फळ |
| तोयं | पाणी |
| यो | जो |
| मे | मला |
| भक्त्या | भक्तिभावाने |
| प्रयच्छति | अर्पण करतो |
| तत् | ते (पण, फुल, फळ आणि पाणी ) |
| अहं | मी |
| भक्त्युपहृतम् | भक्तिभावाने अर्पण केलेले |
| अश्नामि | स्वीकारतो |
| प्रयतात्मनः | ज्याचे अंतःकरण शुद्ध आहे, अशाने (अर्पण केलेली वस्तू |
Overview
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- Language: English
- Duration: 10 weeks
- Skill level: Any level
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