श्री सत्य साई अष्टोत्तर शत नामावली (55 – 108)
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श्लोक
- ॐ श्री साई अनंत नुत कर्तृणे नमः|
वे जो समस्त सृष्टि का रचयिता हैं, और जिसकी स्तुति निरंतर होती है उनको मैं प्रणाम करता हूँ |
- ॐ श्री साई आदि पुरुषाय नमः|
जो सनातन पुरुष हैं, अर्थात् ईश्वर जिस रूप में पृथ्वी पर पहली बार अवतरित हुए थे, उनको मेरा प्रणाम है |
- ॐ श्री साई आदिशक्तिने नमः|
वे परमेश्वर जो आदिशक्ति का ही रूप हैं, उनके सम्मुख मैं अपना शीश झुकाता हूँ|
- ॐ श्री साई अपरूपशक्तिने नमः|
जो अभूतपूर्व शक्तियों के स्वामी हैं, उनके सामने मैं अपना सिर झुकाता हूँ |
- ॐ श्री साई अव्यक्तरूपिणे नमः|
वे जो निराकार हैं, अर्थात् जो अव्यक्त है उनको मेरा नमन है |
- ॐ श्री साई काम क्रोध ध्वंसिने नमः|
जो सभी प्रकार की इच्छाओं अर्थात् कामनाओं एवं क्रोध का नाश करने वाले हैं, ऐसे प्रभु के सामने मैं नतमस्तक हूँ |
- ॐ श्री साई कनकांबर धारिणे नमः|
जो सोने के समान पीत वस्त्रों को धारण करने वाला हैं, उनको मेरा नमन है |
- ॐ श्री साई अद्भुतचर्याय नमः |
जिनकी लीलाएँ अनोखी है ऐसे लीलाधारी को मेरा प्रणाम है|
- ॐ श्री साई आपदबांधवाय नमः |
जो आफतियों में बंधू के समान हमारा पथ प्रदर्शित करते हैं, उनको मैं प्रणाम करता हूँ |
- ॐ श्री साई प्रेमात्मने नमः|
जो साक्षात् प्रेम का ही स्वरुप हैं, ऐसे भगवान को मैं नमन करता हूँ |
- ॐ श्री साई प्रेममूर्तये नमः|
जो प्रभु प्रेम का ही स्वरुप हैं, मानो प्रेम ने ही स्वयं शरीर धारण कर लिया है, उनको मेरा प्रणाम है|
- ॐ श्री साई प्रेमप्रदाय नमः|
जो प्रेम के दाता हैं, उनको मेरा नमन है|
- ॐ श्री साई प्रियाय नमः|
जिनको सब प्यार करते हैं, ऐसे प्रभु को मेरा नमन है|
- ॐ श्री साई भक्तप्रियाय नमः|
जो भक्तों को अत्यंत प्रिय हैं, ऐसे भगवान को मेरा प्रणाम है|
- ॐ श्री साई भक्त मंदराय नमः|
जो भक्तों के लिये स्वर्ग के समान हैं, उनको मैं नमन करता हूँ|
- ॐ श्री साई भक्त्तजन हृदय विहाराय नमः|
जो अपने भक्तों के ह्रदय में वास करता हैं, उस प्रभु को मेरा प्रणाम है|
- ॐ श्री साई भक्तजन ह्रदयालयाय नमः|
भक्तों का ह्रदय ही जिनका घर है ऐसे प्रभु को प्रणाम करता हूँ|
- ॐ श्री साई भक्त पराधीनाय नमः|
जो अपने भक्तों के अधीन हैं, वश में हैं, उस भगवान को मेरा नमन है|
- ॐ श्री साई भक्ति ज्ञान प्रदीपाय नमः|
जो हमारे हृदय में भक्त्ति और ज्ञान के दीपक को प्रज्वलित करते हैं, उस भगवान को मैं नमन करता हूँ|
- ॐ श्री साई भक्त्ति ज्ञान प्रदाय नमः|
जो भक्त्ति के उस मार्ग का प्रदर्शन करते हैं, जिस पर चलकर मनुष्य को ज्ञान प्राप्त हो जाता है, ऐसे पथ प्रदर्शक प्रभु को मैं शीश झुकाता हूँ|
- ॐ श्री साई सुज्ञान मार्ग दर्शकाय नमः|
सुज्ञान की राह प्रदर्शित करने वाले प्रभु को मैं नमन करता हूँ|
- ॐ श्री साई ज्ञान स्वरूपाय नमः|
जो साक्षात् ज्ञान का ही स्वरुप है उसको मेरा नमन है|
- ॐ श्री साई गीता बोधकाय नमः|
वह प्रभु जो गीता के ज्ञान की शिक्षा देने वाले हैं, उनके सम्मुख मैं नतमस्तक हूँ|
- ॐ श्री साई ज्ञान सिद्धिदाय नमः|
जो सभी प्रकार के ज्ञान उपलब्ध करने वाले हैं, उनको मैं नमन करता हूँ|
- ॐ श्री साई सुन्दर रूपाय नमः|
जो अत्यंत सुंदर है उस प्रभु को में नमन करता हूँ|
- ॐ श्री साई पुण्य पुरुषाय नमः|
जो साकार पवित्रता, शारीरिक सुन्दरता, वाणी की मधुरता एवं करुणा का सागर हैं, उस भगवान को मैं प्रणाम करता हूँ|
- ॐ श्री साई फल प्रदाय नमः|
सभी कर्मो का फल प्रदाय करने वाले प्रभु मेरा नमन है|
- ॐ श्री साई पुरुषोत्तमाय नमः|
जो सभी पुरुषों में सर्वोत्तम हैं, सबसे महान हैं, उनके सम्मुख मैं नतमस्तक हूँ|
- ॐ श्री साई पुराणपुरुषाय नमः|
जो सर्वोच्च एवं सनातन हैं, उस महान पुरुष को मैं नमन करता हूँ |
- ॐ श्री साई अतीताय नमः|
जो समे की सीमा से परे हैं, उनको मेरा प्रणाम है
- ॐ श्री साई कालातीताय नमः|
जो तीनों कालों के बाहर हैं, उनको मेरा प्रणाम है
- ॐ श्री साई सिद्धिरूपाय नमः|
जो सभी प्रकार की सिद्धियों का स्वरुप हैं, उनको मेरा प्रणाम है|
- ॐ श्री साई सिद्ध संकल्पाय नमः|
जिसका संकल्प दृढ़ होते हैं, उनको मेरा नमन है|
- ॐ श्री साई आरोग्य प्रदाय नमः|
जो स्वास्थ्य का दाता हैं, उनको मैं नमस्कार करता हूँ |
- ॐ श्री साई अन्नवस्त्रदाय नमः|
जो हमें भोजन एवं वस्त्र देते हैं, अर्थात् हमारी सभी आवश्यकताओं की पूर्ति करते हैं, उनको मेरा प्रणाम है |
- ॐ श्री साई संसार दुःख क्षय कराय नमः|
जो इस संसार के दुःखों का नाश करने वाले है उनको मैं नमन करता हूँ|
- ॐ श्री साई सर्वाभिष्टप्रदाय नमः|
जो हमारी समस्त इच्छित वास्तुओं को देने वाले हैं, उनको को मेरा नमन है |
- ॐ श्री साई कल्याण गुणाय नमः|
जिसके गुण कल्याणकारी हैं, उनको मेरा प्रणाम है|
- ॐ श्री साई कर्मध्वंसिने नमः|
जो कर्मों के बंधन को काटने वाला हैं, उनको मेरा प्रणाम है|
- ॐ श्री साई साधुमानस शोभिताय नमः|
जो सज्जन मनुष्यों के हृदय में दीप्तिमान हैं, शोभायमान हैं उनको मेरा प्रणाम करता हूँ|
- ॐ श्री साई सर्वमत सम्मताय नमः|
जो सभी धर्मों को स्वीकार करने वाले हैं, उनको मेरा प्रणाम है|
- ॐ श्री साई साधूमनास परिशोधकाय नमः|
जो सज्जन मनुष्यों के मन को पवित्र और शुद्ध बनाते हैं, उनको मैं नमस्कार करते हूँ|
- ॐ श्री साई साधकानुगृह वटवृक्ष प्रतिष्ठापकाय नमः|
जिन्होने साधकों के मन मैं वरदान स्वरुप वटवृक्ष को स्थापित किया है, उनको मेरा प्रणाम है|
- ॐ श्री साई सकल संशय हराय नमः|
जो सभी संदेहों को निवर्तित करते हैं, उनको मैं प्रणाम है|
- ॐ श्री साई सकल तत्त्व बोधकाय नमः|
जो समस्त ज्ञान का उपदेश देते हैं, उनको मैं सिर झुकाता हूँ|
- ॐ श्री साई योगीश्वराय नमः|
जो सभी योगियों का स्वामी है उनके सामने मैं नतमस्तक हूँ |
- ॐ श्री साई योगिन्द्रवन्दिताय नमः|
जिस प्रभु की सभी योगी, ऋषि, मुनि वन्दना करते हैं, मैं भी उनको शीश झुकाता हूँ|
- ॐ श्री साई सर्व मंगल कराय नमः|
जो सभी प्रकार के मंगलकारी हैं, उनको मेरा प्रणाम है |
- ॐ श्री साई सर्व सिद्धिप्रदाय नमः|
जो समस्त सिद्धियों को देनेवाले हैं, उनको मैं नमन करता हूँ |
- ॐ श्री साई आपन्निवारिणे नमः|
जो आफतों से हमारी रक्षा करते हैं, उनको मेरा प्रणाम है|
- ॐ श्री साई आर्तिहराया नमः|
जो हमारे शारीरिक एवं मानसिक दुःखों को दूर करते हैं, उनको मेरा प्रणाम है |
- ॐ श्री साई शांत मूर्तये नमः|
जो शांति का स्वरुप हैं (शांति ने ही स्वयं शरीर धारण कर लिया है – ऐसा मालूम होता है) उनको मेरा प्रणाम है|
- ॐ श्री साई सुलभ प्रसन्नाय नमः|
जो बहुत ही शीघ्र एवं सहज ही प्रसन्न होने वाले हैं, उनको मेरा प्रणाम है|
- ॐ श्री साई भगवान श्री सत्य साई बाबय नमः|
मैं, सब के स्वामी भगवान श्री सत्य साई बाबा को समस्कार करता हूँ |
BHAGAVAN – Who possesses the 6 excellences in full:
- Aiswaryam – Omnipotence, Omnipresence and Omniscience
- Dharma – Right Action
- Yasas – Fame
- Shree – Prosperity
- Jnana – Wisdom
- Vairaagyam – Detachment
He who knows the origin and consummation of every being – their comings and goings Therefore the Garland of 108 Precious Gems concludes with this confirmation and this affirmation.
Overview
- Be the first student
- Language: English
- Duration: 10 weeks
- Skill level: Any level
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