भगवद् गीता किञ्चिदधीता

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श्लोक
- भगवद् गीता किञ्चिदधीता
- गंगाजल लवकणिका पीता।
- सकृदपि येन मुरारि समर्चा
- क्रियते तस्य यमेन न चर्चा॥
भावार्थ
प्रतिदिन भगवद्गीता के छोटे से हिस्से का भी पाठ, गंगाजल की एक बूंद का भी पान और कुछ ही समय के लिए भी क्यों न हो, हरि का पूजन करने वाले व्यक्ति के पास यमदूत कभी नहीं आते।

व्याख्या
| भगवद्गीता | एक धार्मिक ग्रंथ |
|---|---|
| किंचित् | थोड़ा सा |
| अधीता | अध्ययन किया |
| गंगा | गंगा नदी |
| जललव | पानी की बूंद |
| कनिका | कण |
| पीता | ग्रहण करना |
| सकृदपि | एक बार भी |
| येन | जिसके द्वारा |
| मुरारी | भगवान कृष्ण |
| समर्चा | पूजा, अर्चना |
| क्रियते | की गयी हो |
| तस्य | उसको |
| यमेन | यम द्वारा |
| न | नहीं |
| चर्चा | विचार-विमर्श |
Overview
- Be the first student
- Language: English
- Duration: 10 weeks
- Skill level: Any level
- Lectures: 0
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