गुरुचरणाम्बुज
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श्लोक
- गुरुचरणाम्बुज निर्भरभक्त:
- संसारादचिराद्भव मुक्तः।
- सेन्द्रियमानसनियमादेवं
- द्रक्ष्यसि निज हृदयस्थं देवम्।।
भावार्थ
गुरू के कमल-चरणों में समर्पित भक्त संसार से मुक्त हो जाता है। जिसने मन, बुद्धि व इन्द्रियों पर नियंत्रण कर लिया हो वह अपने हृदय में स्थित भगवान के दर्शन लेता है।
इस प्रकार यह निष्कर्ष निकलता है कि भजगोविंदम् में आदि शंकराचार्य द्वारा बताई गईं शिक्षाएँ एवं भगवान श्री सत्य साई बाबा द्वारा आज हमें सिखाई गईं शिक्षाएँ समान हैं।
व्याख्या
गुरुचरणाम्बुज | गुरू के चरण-कमल |
---|---|
निर्भर | आश्रित |
भक्तः | भक्त |
संसाराद् | संसार से |
अचिराद्भव | जन्म और मृत्यु के चक्र से कुछ ही समय में |
मुक्त: | मुक्त |
सेन्द्रियमानस | मन एवं इंद्रियों सहित |
नियमादेवम् | नियंत्रण |
द्रक्ष्यसि | देखोगे |
निज | अपने |
हृदयस्थम् | हृदयस्थल में |
देवम् | ईश्वर |
Overview
- Be the first student
- Language: English
- Duration: 10 weeks
- Skill level: Any level
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