कामं क्रोधं लोभं मोहं
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गीत
- कामं क्रोधं लोभं मोहं त्यक्त्वात्मनां पश्यति सोऽहम्।
- आत्मज्ञान विहीना मूदाः ते पश्यन्ति नरक निगूढ़ाः ।।
अर्थ
काम, क्रोध, लोभ, मोह, आदि का त्याग कर के ही मनुष्य ”मैं वहीं हूँ” अर्थात् ”मैं परमात्मा ही हूँ” यह आत्मसाक्षात्कार प्राप्त कर लेता है। आत्मज्ञान से विहीन मानव को नरक-यातना ही सहन करने पड़ती है।
व्याख्या
कामम् | इच्छा, वासना |
---|---|
क्रोधम् | क्रोध |
लोभम् | लालच |
मोहम् | लगाव |
त्यक्त्वा | छोड़ दिया |
आत्मानम् | स्व को |
पश्यति | देखते |
सोऽहम | मैं वही हूँ |
आत्मज्ञान | स्वयं का ज्ञान |
विहीना | बिना |
मूढ़ | मूर्ख |
ते | वे |
पच्यन्ते | पकते हैं (यातना पाते हैं) |
नरक | नरक में |
निगूढ़ा: | कठिन |
Overview
- Be the first student
- Language: English
- Duration: 10 weeks
- Skill level: Any level
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