सर्वधर्मान्परित्यज्य
ऑडिओ
श्लोकाचे बोल
- सर्वधर्मान्परित्यज्य मामेकं शरणं व्रज।
- अहं त्वा सर्व पापेभ्यो मोक्षयिष्यामि मा शुचः।।
अर्थ
अर्जुना, बऱ्या वाईटाचा विचार (शरीर, मन, बुद्धी यांचे सर्व धर्म) सोडून देऊन मला एकट्यालाच शरण ये. मी तुला सर्व पापांपासून मुक्त करीन. शोक करु नकोस!
स्पष्टीकरण
सर्व | सर्व (सगळे) |
---|---|
धर्मान् | कर्तव्ये |
परित्यज्य | सोडून देऊन |
माम् | मला |
एकम् | एकटयालाच |
शरणम् | शरण, आश्रय |
व्रज | (आश्रयाला) ये |
अहं | मी |
त्वां | तुला |
सर्व | सर्व (सगळे) |
पापेभ्यः | पापांमधून |
मोक्षयिष्यामि | सोडवीन |
मा | नकोस |
शुचः | शोक करु नकोस |
Overview
- Be the first student
- Language: English
- Duration: 10 weeks
- Skill level: Any level
- Lectures: 1
-
पुढील वाचन