अहमात्मा गुडाकेश

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श्लोक
- अहमात्मा गुडाकेश सर्वभूताशयस्थितः।
- अहमादिश्च मध्यं च भूतानामन्त एव च॥
भावार्थ
हे गुडाकेश (अर्जुन), सब प्राणियों के हृदय में स्थित सबकी आत्मा में हूँ। मै ही सबका प्रारंभ हूँ, मध्य हूँ तथा अंत भी मैं ही हूँ।

व्याख्या
| अहं | मैं |
|---|---|
| आत्मा | आत्मा, आत्म तत्व |
| गुडाकेश | अर्जुन |
| सर्वभूताशय | सभी प्राणी मात्र के अंतः करण में, हृदय में |
| स्थित | विद्यमान |
| अहं | मैं |
| आदि | प्रारंभ, मूल स्त्रोत |
| च | और |
| मध्यं | मध्य में |
| भूतानाम् | सब प्राणियों का |
| अन्तः | अंत, समाप्ति |
| एव | केवल, सिर्फ |
| च | भी |
Overview
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