गंगाधरा हर हर
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भजन
- गंगाधरा हर हर शंभो
- विभूति सुंदर साई शंभो ।
- हर हर हर हर शंभो,
- हालाहलधर साई शंभो ।
भावार्थ
यह भगवान शिवजी के प्रति हमारी, प्रार्थना है | जिनके सिर पर गंगा नदी है और पूरे शरीर में विभूति है | जिन्होंने घातक ज़हर निगल लिया है और जो, हमारे भगवान साई भी हैं।
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व्याख्या
गंगाधरा | जटा में गंगा को धारण करने वाले (भगवान शिवजी) |
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हर | हर – संहारक ; भगवान शिव का नाम |
शंभो | “शं” भवति इति शंभू” अर्थात् कल्याण कारक, मंगल दायक। भवति – होता है। |
विभूति | पवित्र भस्म |
सुंदर | रमणीय |
हालाहलधर | हलाहल – दूध-सागर के मंथन के समय निकला जहर; धरा – धारण करना; भगवान शिव का नाम ‘हलाहल धरा’ है, क्योंकि वे इस विष को अपने गले में धारण करते हैं| |
साई | सा+आई। सा = सर्वश्रेष्ठ, परम् पवित्र। आई = माता। परम पवित्र माता। |
Overview
- Be the first student
- Language: English
- Duration: 10 weeks
- Skill level: Any level
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